'भाई'
Updated: May 26, 2018

जड़ शरीर था मेरा, तूने आकर उसको छेड़ दिया,
मोह-प्यार के टूटे बंधन, सबको तुमने फिर जोड़ दिया।
कब से अंदर ही अंदर न जाने कितना समेट रखा था,
तूने आकर हाथ जो पकड़ा, बाहर कर सब खोल दिया।
कहने को था बहुत मगर, सुनने वाला कभी मिला नहीं,
जो तुम आये, 'कोई नहीं है मेरा' ऐसा कहना छोड़ दिया।
अधरों पे मुस्कान मेरे, थी अंदर पर जलती ज्वाला,
इस विषैले जीवन में आकर, तूने प्यार का शक्कर घोल दिया।
रिश्तों की पहचान मुझे, है 'प्यार-व्यापार' में फ़र्क़ पता,
'भाई तू मेरा है', जग को मैने ये बोल दिया।
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